अधिकतर लोगों ने सोशल मीडिया पर फैलायी गए झूठे दावे, फ़र्ज़ी फ़ोटो और फेक वीडियो को देख कर ही अपनी राय बनायी है। जो कोई भी शिरडी गया है, उसने कभी इन मनगढ़ंत बातों पर विश्वास नहीं किया। इसलिए हमारा निवेदन है कि आप इस पेज पर दी गई सारी जानकारी ध्यान से पढ़ें। बाबा से जुड़े सभी सवालों के जवाब आपको नीचे FAQ सेक्शन में भी मिलेंगे।
#BindasBolOnSaibaba | सच्चाई का सामना करिए अब बेझिझक
CMD & Editor-in-Chief, Sudarshan News
"Sai Baba ke viruddh ho raha jhooth ek aatmik sena se takra gaya hai – satya ki yeh yatra Sudarshan lekar aaya hai."
साईं बाबा शिरडी के एक महान संत थे जो धर्म से ऊपर थे। उनका जीवन हिंदू परंपराओं का संगम था। उन्होंने कभी अपनी धार्मिक पहचान नहीं बताई, बल्कि "सबका मालिक एक" का संदेश दिया। उनका जीवन प्रेम, सेवा, करुणा और श्रद्धा का प्रतीक था।
साईं बाबा के दो मुख्य उपदेश थे: "श्रद्धा" (आस्था) और "सबूरी" (धैर्य)। उनका मानना था कि ईश्वर पर पूर्ण विश्वास और जीवन की कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखने से ही सफलता मिलती है।
शिरडी का साईं बाबा मंदिर उनकी समाधि स्थली है। यही वह स्थान है जहां उन्होंने जीवन के अंतिम क्षण बिताए। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है।
बिलकुल। साईं बाबा के विचार जैसे प्रेम, एकता, दया, श्रद्धा और सबूरी आज के समय में भी उतने ही आवश्यक हैं। जब समाज में मतभेद बढ़ रहे हैं, तब उनका संदेश लोगों को जोड़ने वाला है।
साईं बाबा के जीवन में कई ऐसी घटनाएँ घटीं जिन्हें चमत्कार माना गया — जैसे बीमारियों का उपचार, भविष्यवाणी आदि। लेकिन वे स्वयं कहते थे कि सब कुछ "मालिक" की कृपा है। वे चमत्कारों से अधिक कर्म, श्रद्धा और सेवा में विश्वास रखते थे।
साईं बाबा आमतौर पर मराठी और उर्दू में बोलते थे। वे हमेशा लोगों की भाषा में संवाद करते थे ताकि उनका संदेश सरलता से समझा जा सके।
हाँ, साईं बाबा के अनुयायी किसी भी धर्म, जाति या वर्ग से हो सकते हैं। उनका संदेश सर्वमान्य और सार्वभौमिक था। वे सभी को एक समान दृष्टि से देखते थे।
साईं बाबा ने फकीरी जीवन अपनाया। वे भिक्षा से जीवन यापन करते थे और अधिकतर समय लोगों की सेवा में लगे रहते थे। उनका जीवन त्याग, सादगी और भक्ति का उदाहरण था।
कई भक्तों का अनुभव रहा है कि उन्होंने साईं बाबा से प्रार्थना की और उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। लेकिन साईं बाबा हमेशा कहते थे — "सबका मालिक एक है, जो सही समय पर देता है।" श्रद्धा और सबूरी ही उनकी शिक्षा है।
आज का युवा साईं बाबा के विचारों को अपनाकर जीवन में संतुलन, आत्मिक शांति और स्थिरता ला सकता है। उनके मूल मंत्र — श्रद्धा, सबूरी, सेवा और सच्चाई — हर युग में प्रासंगिक हैं।